हर शोक सभा में जो बात बार-बार दोहराई थी, बात वो इतनी सीधी सरल थी, क्यों समझ ना आई थी। हर शोक सभा में जो बात बार-बार दोहराई थी, बात वो इतनी सीधी सरल थी, क्यों समझ ना ...
गंगा घाट है तू मेरा जिस में लगा के डुबकी थाम ली है इश्क़ की कश्ती। गंगा घाट है तू मेरा जिस में लगा के डुबकी थाम ली है इश्क़ की कश्ती।
ऊपर चिर निंद्रा में सोए थे नीचे सगे संबंधी रोए थे ऊपर चिर निंद्रा में सोए थे नीचे सगे संबंधी रोए थे
उसकी कृशकाय काया बड़े-बड़ों की माया तले , दब जाती है, बार बार खींच साँस अंदर, वह रह रह जाती है..अपनी ... उसकी कृशकाय काया बड़े-बड़ों की माया तले , दब जाती है, बार बार खींच साँस अंदर, वह ...
मधु उषा की लाली में मन तन कण स्नान डूब भर कर शीतल करती है मधु उषा की लाली में मन तन कण स्नान डूब भर कर शीतल करती है
अभिलाषा मेरी यही, वसौ तिहारे घाट। दरश परश मज्जन करौ, तजौ सकल भव ठाट।। अभिलाषा मेरी यही, वसौ तिहारे घाट। दरश परश मज्जन करौ, तजौ सकल भव ठाट।।